Monday, April 20, 2009
Monday, January 14, 2008
दारा शिकोह - कुमार मुकुल
अकबर ने हिंदू-मुस्लिम साझी संस्कृति की जो नींव भारत में डाली थी, दारा शिकोह उसकी अंतिम कड़ी था। शाहजहां का यह बड़ा बेटा दारा ही गद्दी का असली अधिकारी था। पर पिता के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने न केवल उन्हें कैद में डाल दिया बल्कि अपने बाकी भाइयों को भी कैद कर डाला। 1658 में सत्ता को मुख्य दावेदार दारा शिकोह औरंगजेब से हार गया था और बाद में उसे मार डाला गया था।दारा जितना युद्धकला में निपुण था उतना ही वह पठन-पाठन के लिए भी समय देता था। उसने गीता और उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया था। अकबर की तरह उसे भी सभी धर्मों में समान रूचि थी। पर औरंगजेब की तरह वह कूटनीतिक नहीं था।राजसत्ता का उत्तरिधाकार दारा के लिए मुसीबत साबित हुआ और उसे निर्वासित जीवन जीना पड़ा था। भागता हुआ वह सिंध के राजा मलिक के यहां शरणागत हुआ था। कभी मलिक को दारा ने बादशाह के कोप से बचाया था और मलिक की जान बची थी। पर औरंगजेब के दबाव में मलिक ने दारा को धोखे से गिरफ्तार कर दिल्ली भिजवा दिया। वहां पहले दारा को हाथी पर बिठाकर घुमाया गया फिर अगस्त 1659 को उसकी हत्या कर दी गयी। यह खबर जब शाहजहां की बेटी जहांआरा ने शाहजहां को सुनाई तो वह अवाक रह गया। कहा जाता है कि इस घटना के बाद शाहजहां गूंगा हो गया था।
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